हाथी और भँवरा की कहानी एक दिन गोबर में रहने वाले भँवरे की निगाह मेज़ पर रखी शराब की खाली बोतल पर पड़ी। वह बोतल के पास गया और उसमें बची खुची बूंदें पी गया जिससे उसे नशा चढ़ गया। इसके बाद वह खुशी खुशी गुंजन करता हुआ वापस गोबर के ढेर में चला गया। पास से ही एक हाथी गुज़र रहा था। गोबर की गंध की वजह से वह दूर हट गया और सीधा जाने लगा। नशे में चूर भँवरे को लगा कि हाथी उससे डर गया है। उसने वहीं से हाथी को आवाज़ लगाई और उसे लड़ने की चुनौती देने लगा। “इधर आ मोटे मुझसे मुकाबला कर। देखते हैं कौन जीतता है ” वह हाथी की ओर देखकर चिल्लाया। हाथी ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया। नशे की धुन में भँवरा उसे लगातार चुनौती देता रहा। आखिरकार हाथी का धीरज खत्म हो गया। उसने गुस्से में आकर भँवरे पर गोबर का पानी फेंक दिया। भँवरे की वहीं जान निकल गई। शराब का नशा व्यक्ति को अपने बारे में गलतफहमी पैदा कर देता है। शैतान मेमना बोलने वाली गुफा चूहा बन गया शेर घोड़ा और गधा हौद में पड़ा कुत्ता झूठा दोस्त किंग कोबरा और चीटिंयाँ कुरूप पेड़ मुर्गी और बाज ऊंट का बदला बंदर की जिज्ञासा और कील भेड़िया और सारस