हंस और उल्लू पंचतंत्र की कहानी बहुत समय पहले एक झील के किनारे एक हंस रहता या। एक उल्लू भी वही आकर रहने लगा। वे दोनों साथ खुशी खुशी रहने लगे। में जब गर्मियों का मौसम आया तो उल्लू वापस अपने घर जाने के बारे में सोचने लगा। उसने हंस से भी साथ चलने को कहा। हंस बोला “जब नदी सूख जाएगी तो मैं तुम्हारे पास आ जाऊँगा। जब नदी सूख गई तो हंस उल्लू के पास उसके बरगद के पेड़ पर पहुँच गया। हंस जल्दी सो जाता था। तभी कुछ राहगीर वहाँ से निकले और आराम करने के लिए उसी पेड़ के नीचे बैठ गए। उन राहगीरों को देखकर उल्लू ज़ोर से चिल्लाया। राहगीरों ने इसे अपशकुन माना और उल्लू पर तीर से निशाना मार दिया। उल्लू को तो अँधेरे में दिखता था इसलिए वह तीर से बच गया और उड़ गया। उसके बदले में वह तीर हंस को लग गया और वह मर गया इसी कारण सही कहा गया है कि नई जगह पर हमेशा सतर्क रहना चाहिए। शैतान मेमना बोलने वाली गुफा चूहा बन गया शेर घोड़ा और गधा हौद में पड़ा कुत्ता झूठा दोस्त किंग कोबरा और चीटिंयाँ कुरूप पेड़ मुर्गी और बाज ऊंट का बदला बंदर की जिज्ञासा और कील भेड़िया और सारस