बहुत समय पहले की बात है। एक साधु अपनी पत्नी के साथ नदी के तट पर रहता था। उन दोनों की कोई संतान नहीं थी। उनकी बड़ी इच्छा थी कि कम से कम एक संतान उनके यहाँ ज़रूर हो। एक दिन साधु जब तपस्या में लीन था तभी एक चील ने अपने पंजे में फंसी एक चुहिया उसके ऊपर गिरा दी। साधु ने उस चुहिया को घर ले जाने का निश्चय किया लेकिन उससे पहले उसने उसे एक लड़की में बदल दिया। उस लड़की को देखकर साधु की पत्नी ने पूछा “कौन है ये इसे कहाँ से लाए हो ” साधु ने पत्नी को पूरी बात बताई। उसकी पत्नी बहुत प्रसन्न हुई और वह बोली “तुमने इसे जीवन दिया है इसलिए तुम्हीं इसके पिता हुए। इस तरह मैं भी इसकी माँ हुई। हमारे यहाँ कोई संतान नहीं थी इसलिए भगवान ने इसे हमारे पास भेजा है। जल्द ही वह बच्ची एक सुंदर युवती बन गई। जब वह सोलह साल की हुई तो साधु और उसकी पत्नी ने उसका विवाह करने का निश्चय किया। साधु ने सूर्य देवता का आह्वान किया। जब सूर्य देवता उसके सामने आए तो साधु ने उनसे उसकी बेटी से विवाह करने का अनुरोध किया। हालाँकि लड़की को यह विचार अच्छा नहीं लगा और उसने कह दिया “क्षमा कीजिए लेकिन मैं सूर्य देवता से विवाह नहीं कर सकती क्योंकि वह बहुत गर्म हैं। ” निराश साधु ने सूर्य देवता से कहा कि अब वे ही उसकी लड़की के लिए कोई सुयोग्य वर सुझाएँ। सूर्य देवता ने कहा बादलों के देवता से आपकी लड़की की जोड़ी सही बैठेगी क्योंकि वे ही धूप की गर्मी से उसकी रक्षा कर सकते हैं।” साधु ने अब बादल देवता से उसकी लड़की से विवाह करने का अनुरोध किया। इस बार भी लड़की ने विवाह से इन्कार कर दिया और बोली “मैं इस काले व्यक्ति से विवाह नहीं करूँगी। इसके अलावा बादलों की गरज से मुझे डर भी लगता है। ” साधु फिर से उदास हो गया और उसने बादल देवता से अनुरोध किया वे ही कोई सुयोग्य वर सुझाएँ। बादल देवता ने कहा “पवन देवता के साथ इसकी जोड़ी अच्छी रहेगी क्योंकि वे आसानी से मुझे उड़ा सकते हैं। साधु ने अब पवन देवता से विवाह का अनुरोध किया। इस बार भी लड़की ने विवाह से इन्कार कर दिया और बोली “मैं ऐसे अस्थिर व्यक्ति से विवाह नहीं कर सकती जो हर समय यहाँ वहाँ उड़ता रहता हो।” साधु को बहुत दुख हुआ और वह अब काफी परेशान भी हो गया। साधु ने पवन देवता से ही कोई सुयोग्य वर सुझाने को कहा। पवन देव ने जवाब दिया “पर्वतों के राजा बहुत मज़बूत और स्थिर हैं। वे बहती हुई हवा को भी आसानी से रोक सकते हैं। उनसे आपकी लड़की की जोड़ी सही बैठेगी। साधु अब पर्वतराज के पास गया और उससे उसकी लड़की के साथ विवाह करने का अनुरोध किया। हालाँकि इस बार भी लड़की ने विवाह करने से इन्कार कर दिया और कहा मैं ऐसे किसी व्यक्ति से विवाह नहीं कर सकती जो इतना कठोर और ठंडा हो।” लड़की ने साधु से किसी नर्म वर को खोजने को कहा। साधु ने पर्वतराज से सलाह माँगी। पर्वतराज ने जवाब दिया किसी चूहे के साथ ही आपकी लड़की की जोड़ी अच्छी रहेगी क्योंकि वह नर्म भी है और आसानी से किसी पर्वत में भी बिल बना सकता है। इस बार लड़की को वर पसंद आ गया। साधु काफी हैरान हुआ और बोला “भाग्य का खेल कितना निराला है तुम मेरे पास एक चुहिया के रूप में आई थीं और मैंने ही तुम्हें लड़की का रूप दिया था। चुहिया के रूप में जन्म लेने के कारण तुम्हारे भाग्य में चूहे से ही विवाह करना लिखा था और वही हुआ। भाग्य में जो लिखा था वही हुआ। ” साधु ने फिर से प्रार्थना शुरू कर दी और लड़की को दोबारा चुहिया बना दिया। शैतान मेमना बोलने वाली गुफा चूहा बन गया शेर घोड़ा और गधा हौद में पड़ा कुत्ता झूठा दोस्त किंग कोबरा और चीटिंयाँ कुरूप पेड़ मुर्गी और बाज ऊंट का बदला बंदर की जिज्ञासा और कील भेड़िया और सारस