तीन दोस्त थे कौआ बंदर और हाथी। तीनों के बीच अक्सर किसी न किसी बात पर मतभेद हो जाते लेकिन वे किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाते। एक दिन वे एक बड़े बरगद के पेड़ के नीचे आराम कर रहे थे। तभी बंदर बोला जब तुम लोगों ने इस पेड़ को देखा था तो इसका आकर कितना था हाथी बोला जब मैं बच्चा था तब मैं इसकी नर्म नर्म डालियों से अपना पेट रगड़ा करता था। जब मैं छोटा था तब मैंने कुछ बेर खाए थे और उसकी कुछ गुठलियाँ यहां डाल दी थी। उन्हीं गुठलियों से यह पेड़ उगा है कौआ आराम से बोला। उसकी बात सुनकर बंदर बोला दोस्त जब मैंने पहली बार इसे देखा था तो यह एक पौधा ही था। तो अब भाई अब ऐसा लगता है कि तुम्हीं हम सब से बड़े हो। अब हम तुम्हारी ही राय सुना करेंगे। शैतान मेमना बोलने वाली गुफा चूहा बन गया शेर घोड़ा और गधा हौद में पड़ा कुत्ता झूठा दोस्त किंग कोबरा और चीटिंयाँ कुरूप पेड़ मुर्गी और बाज ऊंट का बदला बंदर की जिज्ञासा और कील भेड़िया और सारस