बंदरों का एक झुंड नदी किनारे लगे पेड़ पर लगे आम खाया करता था। एक दिन राजा नदी में मछलियाँ पकड़ने आया। उसे आमों से लदा पेड़ दिखा। पास जाकर उसने देखा कि बंदर उन आमों को खाने में लगे थे। राजा ने तीरंदाजों को बुलाकर बंदरों को मार डालने का आदेश दिया। बंदरों के मुखिया ने यह सुना तो अपने को और अपने साथियों को बचाने का तरीका सोचने लगा। वह पेड़ की एक ऐसी डाली पर चढ़ गया जो नदी के पानी के ऊपर तक झुकी हुई थी। बंदर डाली पर आगे बढ़ता गया। जब डाली काफी झुक गई तो सारे बंदर एक एक करके उसकी पीठ पर से होते हुए नदी के पास कूद गए। सारे बंदर एक एक करके पार हो गए और पहाड़ी पर पहुंच गए। इस प्रकार बंदरों के मुखिया की सूझबूझ से सारे बंदरों की जान बच गई। शैतान मेमना बोलने वाली गुफा चूहा बन गया शेर घोड़ा और गधा हौद में पड़ा कुत्ता झूठा दोस्त किंग कोबरा और चीटिंयाँ कुरूप पेड़ मुर्गी और बाज ऊंट का बदला बंदर की जिज्ञासा और कील भेड़िया और सारस