नेक खरगोश पंचतंत्र की कहानी बोधिसत्व एक बार एक भले और नेक खरगोश के रूप में जन्मे। एक दिन शाम को खरगोश को याद आया कि कल तो बहुत शुभ दिन होता है और उस दिन अपने अतिथियों को भोजन कराया जाता है। बोधिसत्व के पास अतिथियों लायक भोजन था ही नहीं। काफी सोच विचार करने के बाद उन्होंने तय किया कि जो भी अतिथि उनके घर आएगा उसे वे अपना ही माँस खाने के लिए प्रस्तुत कर देंगे। देवताओं के राजा को यह बात पता चली तो उन्होंने बोधिसत्व की परीक्षा लेने का निश्चय किया। वह एक ब्राह्मण के वेष में बोधिसत्व के पास जा पहुंचा और भोजन माँगने लगा। बोधिसत्व ने दो पत्थरों की सहायता से आग जलाई और धधकती ज्वाला में कूद गए। देवताओं का राजा उनके बलिदान को देखकर स्तब्ध रह गया। उसने बोधिसत्व के सम्मान में चंद्रमा में खरगोश का चित्र अंकित करवा दिया। शैतान मेमना बोलने वाली गुफा चूहा बन गया शेर घोड़ा और गधा हौद में पड़ा कुत्ता झूठा दोस्त किंग कोबरा और चीटिंयाँ कुरूप पेड़ मुर्गी और बाज ऊंट का बदला बंदर की जिज्ञासा और कील भेड़िया और सारस