दुष्ट कौआ की कहानी एक एक बगुला था जो एक दुष्ट कौए की संगत में पड़ गया था। एक दिन राहगीर एक पेड़ की ठंडी छाया में आराम कर रहा था। उसका कुछ देर में सूरज के पश्चिम दिशा में आगे बढ़ने के साथ ही उस आदमी के चेहरे पर धूप पड़ने लगी। बगुले को उस व्यक्ति पर दया आई और उसने उसे धूप से बचाने के लिए अपने पंख फैला दिए। जबकि दोस्त कौआ उस सोते हुए व्यक्ति को परेशान करने का प्रयास कर रहा था। जब उस व्यक्ति ने जम्हाई लेने के लिए मुँह खोला तो कौए ने उसके मुँह में ही बीट कर दी और उड़ गया। उस व्यक्ति की नींद खुल गई और वह इधरउधर देखने लगा। उसकी निगाह बगुले पर पड़ी। उसे लगा कि बगुले ने ही उसके मुँह में बीट की है। उसे बहुत क्रोध आया और उसने एक पत्थर उठाकर बगुले को दे मारा। बगुला वहीं मर गया। बुरी संगत का परिणाम बुरा ही होता है। शैतान मेमना बोलने वाली गुफा चूहा बन गया शेर घोड़ा और गधा हौद में पड़ा कुत्ता झूठा दोस्त किंग कोबरा और चीटिंयाँ कुरूप पेड़ मुर्गी और बाज ऊंट का बदला बंदर की जिज्ञासा और कील भेड़िया और सारस