एक बार बैलों की एक जोड़ी थी जो दिन रात मेहनत करती थी। उन्हें एक बैलगाड़ी में जोता जाता था जिसे वे खींचा करते थे। एक दिन वे बैलगाड़ी को ऊबड़ खाबड़ रास्ते पर लिए जा रहे थे। बैलगाड़ी खींचने में उन्हें बहुत मेहनत लग रही थी लेकिन उन्होंने कोई शिकायत नहीं की। बैलगाड़ी के पहिए कुछ अलग तरह के थे। हालाँकि पहियों का काम बैलों के काम की तुलना में बहुत आसान था फिर भी वे चरमराने लगे और हर मोड़ पर कराहने लगते। गाड़ीवान बहुत क्रोधित हुआ। उसने बैलगाड़ी से पूछा “काम करते समय तुम इतना शोर क्यों मचाती हो देखती नहीं हो कि ये जानवर तो चुपचाप मेहनत कर रहे हैं ज़्यादा चिल्लाने वाले को ज़रूरी नहीं कि दर्द भी सबसे ज़्यादा ही हो रहा हो। शैतान मेमना बोलने वाली गुफा चूहा बन गया शेर घोड़ा और गधा हौद में पड़ा कुत्ता झूठा दोस्त किंग कोबरा और चीटिंयाँ कुरूप पेड़ मुर्गी और बाज ऊंट का बदला बंदर की जिज्ञासा और कील भेड़िया और सारस