गधा और मूर्ति की कहानी एक बार की बात है। एक गधा था। उसका मालिक उससे कड़ी मेहनत कराता गधे को मार भी पड़ती थी और रस्सी से भी बँधा रहना पड़ता था। वह बहुत दुखी रहता था। एक दिन गधा किसी देवता की मूर्ति लादे जा रहा था। वह रास्ते में जब रुक जाता तो लोग आकर देवता की मूर्ति के सामने सिर झुकाने लगते। गधे को मज़ा आने लगा। वह बार बार रुकने लगा। उसका मालिक उसके साथ चल रहा था। उसने भी गधे की मूर्खता देखी। उसने गधे को ज़ोर से डंडा मारा और डाँटकर बोला सीधा चल मूर्ख कहीं का। तुझे क्या लगता है ये लोग क्या तेरे सामने सिर झुका रहे हैं लोग तेरी पीठ पर लदी मूर्ति का सम्मान कर रहे हैं तेरा नहीं। तेरी कोई औकात नहीं है। जो दूसरों का श्रेय लेने का प्रयास करते हैं वे मूर्ख होते हैं। शैतान मेमना बोलने वाली गुफा चूहा बन गया शेर घोड़ा और गधा हौद में पड़ा कुत्ता झूठा दोस्त किंग कोबरा और चीटिंयाँ कुरूप पेड़ मुर्गी और बाज ऊंट का बदला बंदर की जिज्ञासा और कील भेड़िया और सारस