सर्दी का बफीला दिन था। एक किसान अपने घर में भूखा बैठा था। ठंड के कारण वह खाने के लिए बाहर नहीं जा पा रहा था। कुछ देर में उसकी भूख और तेज हो गई तो उसने अपने ही जानवरों को खाना शुरू कर दिया। दिन गुजरते गए लेकिन बाहर बर्फ गिरनी बंद नहीं हुई। किसान अपने सारे जानवरों को एक एक करके मारकर खाने लगा। किसान ने अब भेड़ों को खाना शुरू कर दिया। कुछ दिन और बीते लेकिन मौसम पहले की तरह ठंडा ही बना रहा। अंत में बैलों की बारी आई और किसान उन्हें भी एक एक करके खाने लगा। किसान के पास कुछ कुत्ते भी थे। वे काफी दिनों से किसान की हरकतें देख रहे थे। एक दिन उन्होंने आपस में बात की “हमें यहाँ से भाग जाना चाहिए। हमारे मालिक को हमारे ऊपर दया तो आएगी नहीं। उसने तो उन बैलों को भी नहीं छोड़ा जो उसका बोझा ढोया करते थे। जब वह सारे बैलों को खा लेगा तो फिर वह हमें ही अपना भोजन बनाएगा। अगर पड़ोसी के घर में आग लगी हो तो हमें अपने घर को बचाने के उपाय पहले से ही कर लेने चाहिए। शैतान मेमना बोलने वाली गुफा चूहा बन गया शेर घोड़ा और गधा हौद में पड़ा कुत्ता झूठा दोस्त किंग कोबरा और चीटिंयाँ कुरूप पेड़ मुर्गी और बाज ऊंट का बदला बंदर की जिज्ञासा और कील भेड़िया और सारस