कबूतर और कौआ की कहानी एक बार एक कबूतरी पिंजरे में बैठी अपने अंडों के बारे में अपने आप से बात कर रही थी। पिंजरे में बंद चिड़िया को वैसे अपने मातृत्व पर क्या गर्व होता वह तो बस अपनी प्रजनन क्षमता और मातृत्व के बारे में शेखी बघारे जा रही थी। एक कौआ पिंजरे के ऊपर से उड़ता हुआ गुजरा। वह नीचे आया और पास के पेड़ की डाल पर बैठ गया। कबूतरी की अपने मुँह मियाँ मिटू बनने की बातें सुनकर उसे बहुत हँसी आई। उसने कबूतरी का ध्यान अपनी ओर खींचा और उससे बोला “शांत हो जाओ मेरी प्यारी दोस्त। तुम जितने भी बच्चे पैदा करोगी उन्हें रहना तो पिंजरे में कैद ही है। वे सब कैद रहेंगे और रोएँगे चिल्लाएँगे। साधारण स्वतंत्र पक्षी से अधिक प्रसन्न कोई नहीं होता। प्रसन्नता और सुख का अनुभव करने के लिए स्वतंत्रता आवश्यक है। शैतान मेमना बोलने वाली गुफा चूहा बन गया शेर घोड़ा और गधा हौद में पड़ा कुत्ता झूठा दोस्त किंग कोबरा और चीटिंयाँ कुरूप पेड़ मुर्गी और बाज ऊंट का बदला बंदर की जिज्ञासा और कील भेड़िया और सारस