अंग्रेज से युद्ध में रानी का साहस लड़ाई की सारी प्रबंध ओरछा राज्य का नत्थे खां रानी के पीछे हाथ धोकर पड़ गया था। वह जनरल रोज के पास से तभी हटा जब उसे झांसी पर आक्रमण करने के लिए राजी कर लिया।

जनरल रोज एक बहुत बड़ी सेना लेकर झांसी की ओर चल दिया। उसने आते ही किले को चारों ओर से घेर लिया। रानी घबड़ाई नहीं। वह पहले से ही तैयार बैठी थी। उसने मां दुर्गा को स्मरण किया। लड़ाई की सारी आवश्यकताओं का ठीक ठीक प्रबंध किया बल्कि यों कहना चाहिए कि यह कार्य तो उसने पहले ही पूरा कर लिया था। उसने किले की दीवारों पर तोपें चढ़वा दी थीं। स्वयं भी रणभूमि के लिए तैयार हो गई। इस समय उसके मुंह का तेज देखते ही बनता था। वह ऐसी लग रही थी कि मानो साक्षात रणचण्डी हो। और म्लेच्छों का संहार करने के लिए ही पैदा हुई हो।

यह तेईस मार्च अठारह सौ अट्ठावन का प्रभात था। जब अंग्रेजों ने झांसी के किले को खूब अच्छी तरह से घेर लिया। अंग्रेजी सेना की तोपें आग बरसाने लगीं। उधर रानी की तोपों की भी गड़गड़ाहट होती। पलीता रखते ही गोला छूटता। धांय की आवाज होती। तोपें आग उबल रही थीं चारों ओर धुआं ही धुआं छा रहा था। दोनों ओर से कोई भी पक्ष कमजोर नहीं पड़ा। चार दिन तक लगातार तोपें गोले बरसाती रहीं। यद्यपि अंग्रेजों की सेना बहुत बड़ी थी। लेकिन फिर भी उसके दांत खट्टे हो गए और पैर उखड़ने लगे। वह भागने लगी। जनरल रोज इससे बुरी तरह खिसिया गया।

रानी को गुप्त सूत्रों द्वारा यह पता चला चुका था कि तांत्या टोपे उसकी मदद के लिए आ रहा है। उसके साथ अच्छी खासी फौज है। वह उसकी प्रतीक्षा करने लगी। इधर अंग्रेज भी मुंह की खा रहे थे। जनरल रोज बहुत परेशान था। उसकी सेना के न जाने कितने सैनिक मारे गए। अगर किले की दीवाल तक एक भी नहीं पहुंच सका। रानी ने किले की दीवालों पर बहुत अच्छी मोर्चाबंदी की थी। अंग्रेज अफसर अचरज में थे कि औरत जात होते भी लक्ष्मीबाई मर्दो के कान काटती है। उसने ऐसी किलेबंदी की है कि चार दिन क्या चार महीने बीत जाएंगे और यह मोर्चा नहीं टूटेगा।

रानी के पास यद्यपि अंग्रेजों से बहुत कम तोपें थीं लेकिन फिर भी वे लगातार आग उगले जा रही थीं। उनकी भयंकर मार के सामने अंग्रेज सैनिक जाने का साहस नहीं करते। अंग्रेज इस कोशिश में थे कि किसी तरह किले की दीवार टूट जाए। इसीलिए बहुत उनकी तोपें आग बरसा रही थीं। वे गोलों पर गोले छोड़ रही थीं। अंग्रेजों ने यहां पर जब देखा कि किले की मोर्चेबन्दी तगड़ी है। उस पर आसानी से अधिकार नहीं हो सकता तो घूस देकर उन्होंने किले के अफसरों को अपनी ओर मिलाने की कोशिश की। इसमें वह किसी हद तक सफल हो गए।

दीवान दूल्हा जू जो एक नायक दीवान था उसने छिपे तौर से देश द्रोह किया। वह अंग्रेजों की छावनी में गया और उन्हें अपने सैनिक भेद बतलाए इसके बदले में उसने उनसे मुंहमांगा इनाम पाया। इस तरह उस समय देश भक्तों की कमी नहीं थी। और गद्दार देशद्रोही भी मौजूद थे। वे कलंक बन गए देश के लिए और देश की आजादी की रक्षा नहीं हो पायी। बस फिर क्या था अंग्रेजों की तोपें खूखार हो उठीं। उन्होंने तय कर लिया था कि वे गोलों से ही किले की दीवार तोड़ देंगे। रानी के पास कितनी बारूद और कितने गोले होंगे। वह कब तक अंग्रेजी सेना का मुकाबला करेगी। उसे हार माननी ही पड़ेगी। वह बचकर किले से कहीं भी नहीं जा सकती। नत्थे खां तो अंग्रेजी सेना के साथ था ही।

झांसी का नायक जीवट दूल्हा जू भी अंग्रेजों से मिल गया। उसने उनसे बहुत बड़ी रकम प्राप्त की। रानी को इस षड्यंत्र का पता नहीं चला। वह युद्ध के आवेष में थी उसके पास सोचने विचारने के लिए समय नहीं था। उसकी सखियां भी मोर्चेबंदी पर थीं। वे सब सोच भी नहीं सकती थीं कि किले के अंदर गद्दार भी हैं। जो दुश्मन का नमक खा रहे हैं और उसको भेद दे रहे हैं । आज युद्ध का पांचवां दिन था।

सबेरा होते ही तोपों की गड़गड़ाहट शुरू हो गई। अंग्रेजी सेना तितर बितर होती फिर एकत्रित हो जाती। उधर किले का एक भी सिपाही नहीं मर रहा था। झांसी नगर में हलचल मच रही थी। अंग्रेजों का आतंक सब ओर छा रहा था। किले का एक भी बच्चा बाहर नहीं आ पाता। गुप्त रास्तों से केवल खास व्यक्ति ही आते जाते। अंग्रेजों ने बाजार लूट लिया प्रजा को सताया। रिआया बड़े बड़े आंसुओं रो रही थी।

उधर रानी एक तरह से किले में कैद थी। जब तक अंग्रेजों का मोर्चा नहीं टूटता वह किले से बाहर नहीं आ सकती है। जनरल रोज की आंखों से खून बरस रहा था। वह अपने सैनिकों को धिक्कारता अफसरों को जली कटी सुनाता। वह कहता कि तुम लोग कैसे मर्द हो जो कि एक औरत से नहीं जीत सकते। अगर रानी पर विजय नहीं पायी तो तुम सबको मौत के घाट उतार दिया जाएगा। कोशिश करो आगे बढ़ो और किले की दीवार को तोड़ दो। इसके बिना रानी काबू में नहीं आएगी और किले पर अधिकार नहीं होगा।