एक जगंल में तीन दोस्त बड़े आनंद से रहते थे कछुआ हिरण और कौआ। जंगल में सभी प्रकार के प्राणी और पक्षी भी रहते थे लेकिन उनके जैसा कोई न था।

एक दिन हिरण बोली अरे वही बैठे बैठे मै बोर हो गयी हु चलिए कोई ऐसा खेल खेलते है जिसमें सभी को मजा आ जाए कछुआ और कौआ बोला हाँ दोस्तों वही बैठे बैठे का खेल खेल कर बोर हो चूके है अब कुछ नया खेल खेलेंगे।

कौवे को हिरन बोली ठीक है तो तुम एक बड़े से पेड पर बैठ कर आंखे बंद करके दस तक गिनती करो और हम दोनों छुपेंगे उसके बाद तुम हमे ढूँढना ढूढने पर जो भी पहला मित्र दिखेगा वो तुम्हारी जगह पर दस तक गिनती करेगा और तुम छूप जाना। कौआ गिनती करने लगा हिरन और कछुवा छुपने लगे इसी तरह खेल चलता रहा। जब खेल खेल कर तीनो मित्र थक गए तब एक जगह बैठ कर बाते करने लगे उतने में एक शिकारी वहाँ से गुजर रहा था।

तभी उसकी नजर हिरन कौआ और कछुवे पर पड़ी। शिकारी ने जैसे ही तीनो मित्रो को देखा उन्हें पकडने के लिए दौड़ा खतरे का आभास होते ही हिरन और कौआ रफूचक्कर हो गये यानि की वहाँ से भाग गये। कछुवे को आभास हुआ पंरतु कछुवे की चाल धीर होने के कारण शिकारी के हाथ लग गया और शिकारी उसे अपने दुपटे में बांधकर ले जाने लगा शिकारी मन ही मन खुश हो गया हिरन नही तो कछुवा ही सही रात का तो प्रबंद हो गया यह कहकर वहां से जाने लगा।

उधर हिरन और कौआ अपने मित्र को ऐसे शिकारी के कैद में देखकर दुखी होने लगे तभी शिकारी भोजन में कछुवे को खाने वाला है यह सुनकर हिरन और कौवे ने एक योजना बनाई। कौवे ने हिरन को कहाँ की जैसे ही शिकारी यहा से जब जाने लगेगा तब तुम उसके सामने जाना जब शिकारी तुम्हे देखेगा तो अपनी पोटली जमीन पर रखकर तुम्हे पकड़ने के लिए जैसे ही दौड़ेगा मै जमीन पर रखी हुई पोटली पकडकर उड़ जाऊगाँ और तुम वहा से भाग जाना।

जैसे ही शिकारी वहां से जाने लगा हिरन उसके सामने आ गई शिकारी ने हिरन को पकडने के लिए पोटली जैसे ही जमीन पर रखा कौआ अपनी चोच में पोटली पकडकर उड़ गया। शिकारी हिरन को पकडने के लिए दौडा और पीछे मुडकर देखा कौआ पोटली चोच में पकडकर उड़ रहा था और इधर हिरन पलक झपटे ही भाग गयी। शिकारी निराश होकर घर लौट गया कौवे ने पोटली को महफुस जगह पर रखा और कछुवे को शिकारी के चंगुल से आजाद कराया और तीनो मित्र आनंद से रहने लगे। इससे हमें यह सीख मिलती है की असली दोस्ताना वही जो समय पर काम आए।