एक काली बिल्ली एक दिन आटे के गोदाम में घुस गई। वहाँ पर बहुत से चूहे रहते थे। बिल्ली ने खुश होकर सोचा “यह जगह मेरे लिए बढ़िया है। खूब सारा खाना मिलेगा रोज वह चूहों को पकड़ने का उपाय सोचने लगी। उसने सोचा कि छिपकर चूहों के निकलने का इंतज़ार किया जाए।
वह सुबह से रात तक इंतज़ार करती रही। लेकिन कोई भी चूहा उसे दिखाई नहीं दिया। दरअसल चूहे भी बहुत होशियार थे। बहुत देखभाल कर निकलते थे। रात हो गई थी। भूख के मारे बिल्ली का बुरा हाल था। उसने सोचा कि अब चूहों को धोखे से ही पकड़ना पड़ेगा।
इसीलिए वह ख़ाली जगह देखकर ज़मीन पर लेट गई। बिल्ली ऐसा नाटक कर रही थी जैसे कि मर गई हो। एक छोटे से चूहे ने उसे देखा और बोला “वह देखो एक मरी हुई बिल्ली।
ऐसा कहकर वह बिल्ली की ओर दौड़ा। लेकिन एक बुजुर्ग चुहे ने उसे रोका रुको ऐसे उसके पास मत जाओ। क्या तुम्हें पता है कि बिल्ली की उम्र बहुत लंबी होती है।
यह बिल्ली तो एकदम मोटी ताज़ा है। ऐसे थोड़े ही मर जाएगी। वह बिल्ली के पास रखी हुई बोरियों के ढेर पर चढ़ गया और सबसे ऊपर रखी आटे की बोरी को काटने लगा।
अचानक बिल्ली के ऊपर ढेर सारा आटा गिरा। बिल्ली फिर भी नहीं हिली। लेकिन ज़्यादा देर तक वह अपने आपको नहीं रोक पाई क्योंकि आटा उसकी नाक में चला गया था।
उसे जोर से एक छींक आई और आटे के अंदर से एक सफेद बिल्ली निकली। सारे चूहे बोले भागो भागो बिल्ली आई।