एक व्यक्ति के तीन बेटे थे मोहन सोहन और रोहन। उसने अपने तीनों बेटों को एक एक उपहार दिया। पहले को एक मुर्गा दूसरे को एक हल और तीसरे को एक बिल्ली। ये अजीब उपहार पाकर तीनों बेटे थोड़े निराश हो गए।
तब उनके पिता ने उन्हें समझाया “निराश मत होओ मेरे बच्चो। तुम अपने अपने उपहार को किसी ऐसी जगह पर ले जाओ जहाँ कोई भी उन्हें न जानता हो। तब देखना यही उपहार तुम्हारा भाग्य बदल देंगे।
तीनों भाई अपने अपने उपहार लेकर निकल पडे। पहला भाई मोहन मुर्गे को लेकर चलता जा रहा था। वह जहाँ जहाँ भी जाता था मुर्गे वहाँ भी होते थे।
सब लोग मुर्गे के बारे में पहले से ही जानते थे। चलते चलते आखिर वह एक ऐसी जगह पहुँच गया जहाँ एक भी मुर्गा नहीं था। यह एक छोटा सा गाँव था। इस गाँव के लोग काफी अमीर थे। बस उन्हें एक ही परेशानी थी। इन लोगों को नींद बहुत आती थी। वे लोग सुबह को जल्दी उठकर काम पर जाना चाहते थे लेकिन सोते हुए रह जाते थे।
वे किसी ऐसे व्यक्ति को ढूँढ रहे थे जो उन्हें सुबह को जल्दी उठा सके। मोहन जब उस गाँव में पहँचा तो रात हो गई थी। वह एक पेड के नीचे सो गया। सुबह को एक मीठे से गीत से पूरा गाँव गूँज उठा। सभी लोग यह आवाज़ सुनकर झट से उठ गए। वे घरों से बाहर निकलकर देखने लगे कि उन्हें जगानेवाला कौन है।
पता है यह किसकी आवाज़ थी। यह और कुछ नहीं मोहन के मुर्गे की बाँग थी। गाँव के लोग इतने खुश हुए कि उन्होंने कहा कि वे उस मुर्गे को रखना चाहते हैं और उसके बदले में उन्होंने मोहन को ढेर सारा सोना दिया। मोहन खुशी खुशी घर लोट आया। दूसरा भाई सोहन अपना हल लेकर निकला था।
चलते चलते वह एक गाँव में पहुँचा जहाँ चारों ओर हरियाली थी। बढ़िया फसल खेतों में उगी हुई थी। इस गाँव के लोगों ने बहुत मेहनत से ये फसल उगाई थी क्योंकि ये सब उन्होंने अपने हाथों से किया था। यहाँ तक कि उन्होंने खेतों को जोता भी हाथों से था। और वह इसलिए कि यहाँ के लोग हल क्या होता है यंह जानते ही नहीं थे। सोहन ने उन्हें बताया कि हल से ज़मीन कितनी आसानी से और जल्दी जोती जा सकती है।
गाँव के लोग बहुत खुश हुए और उन्होंने हल के बदले में सोहन को ढेर सारा सोना दिया। तीसरा भाई रोहन एक जगह पर पहुँचा जहाँ एक भी बिल्ली नहीं थी। उस गाँव में चूहे ही चूहे थे और इसीलिए प्लेग की बीमारी फैली हुई थी। बिल्ली ने तुरंत अपना काम शुरू कर दिया। धीरे धीरे चूहे कम होने लगे। गाँव के लोगों ने खुश होकर बिल्ली के बदले में रोहन को ढेर सारा सोना दिया।
तीनों भाई खुशी खुशी अपने घर लौट आए और अपने अपने पैसों से काम शुरू किया। उनके पिता की बात बिल्कुल सही निकली थी। इन उपहारों ने उनकी ज़िंदगी को ही बदल दिया था।