एक खरगोश और एक कछुए में गहरी मित्रता थी । वे साथ साथ घूमते थे खेलते थे और हमेशा एक दूसरे की मदद करते थे ।

एक बार खेल खेल में दोनों ने दौड़ प्रतियोगिता करने की बात सोची । उनको बरगद के पेड़ तह पहुँचना था । यह पेड़ वहाँ से कुछ ही दूर एक गाँव के ठीक बाहर था । यह निश्चित हुआ कि जो वहाँ पहले पहुँचेगा वही विजेता कहलाएगा ।

दौड़ शुरू हुई । खरगोश जो कि खूब तेज दौड़ता था और उछल उछलकर चलता था बड़ी तेजी से आगे निकल गया । कछुआ अपनी आदत के अनुसार चल रहा था । एकदम धीरे धीरे । कुछ देर दौड़ने के बाद खरगोश ने पीछे मुड़कर देखा तो उसे कछुआ दूर तक कहीं दिखाई नहीं दिया ।

पास ही में एक ऊँचा घना पेड़ था । धीमी धीमी हवा चल रही थी । खरगोश ने सोचा कि थोड़ा सुस्ता लेता हूँ फिर जल्दी से आगे बढ़ जाऊँगा । कछुए को तो यहाँ तक पहुँचने में अभी देर लगेगी । यह सोचकर वह पेड़ के नीचे लेट गया । ठंडी हवा ने उसे झटपट सुला दिया ।

उधर कछुआ धीरे धीरे पेड़ की ओर बढ़ता जा रहा था । खरगोश काफी देर तक सोता रहा । जैसे ही उसकी आँख खुली वह बरगद के पेड़ की ओर भागा । वहाँ पहुँचकर उसने देखा कि कछुआ तो पहले से ही वहाँ पहुँच गया है । और इस तरह से धीरे धीरे ही सही पर लगातार चलकर कछुए ने प्रतियोगिता जीत ली ।