एक दिन बादशाह ने बीरबल से पूछा क्यों बीरबल हमारे राज्य में कोई ऐसा भी है जो सर्दियों की इस रात में बाहर पानी में खड़ा रहे बीरबल ने बताया “जहाँपनाह ऐसे बहुत लोग हैं। बादशाह को बीरबल की बात पर विश्वास न हुआ।

उन्होंने आश्चर्य के साथ पूछा साबित कर सकते हो बीरबल बोले “जी हाँ। “तो फिर हमें ऐसा आदमी दिखाओ। बादशाह ने कहा। “कल दिखाऊँगा। बीरबल ने विनम्रता के साथ कहा। अगले दिन बीरबल ने एक धोबी को बुलाया और बादशाह से कहा यह आदमी सर्दियों में रात भर पानी में खड़ा रह सकता हे जहाँपनाह “हम इसे बहुत इनाम देंगे। “यह रात को महल के पीछे पानी में खड़ा रहेगा कल आप इसे इनाम दे दीजिएगा।

बीरबल बोले। रात को ऐसा ही हुआ। धोबी रात भर पानी में खड़ा रहा। सुबह होने पर बीरबल उसे बादशाह के सामने लाए। बादशाह ने पूछा बीरबल यह आदमी पानी में केसे खड़ा रहा आप इसी से पूछिए। क्यों रे धोबी तू रात भर इतनी ठंड में पानी में कैसे खड़ा रहा सर्दी भी लगी होगी और दिल भी नहीं लगा होगा। रात कैसे कटी हुजूर सारी रात में महल में जलते हुए चिराग पर ध्यान लगाए रहा। धोबी ने उत्तर दिया।

ओह तुम हमारे चिराग की गर्मी में रहे सर्दी से बचते रहे हाथ सेंकते रहे। बादशाह ने कहा। बीरबल बोला आप कैसी बातें कह रहे हैं हुजूर कहीं यह संभव हे “हाँ यही हुआ है। इस आदमी को इनाम नहीं मिलेगा। बादशाह ने इनाम नहीं दिया। अगले दिन बीरबल दरबार में नहीं गए। उन्हें अनुपस्थित देखकर बादशाह को चिता हुई कि उनका प्रिय साथी क्‍यों नहीं आया बीरबल को नाराजगी का उन्हें दुःख था।

पता लगाने के उद्देश्य से बादशाह बीरबल के निवास पर पहुंच। बीरबल जो तमाशा कर रहे थे उसे देखकर वह चोंक पडे। बीरबल ने जमीन पर एक लंबा बाँस गाड़ा हुआ था जिसके ऊपरवाले सिरे पर एक हॉँडी बँधी हुई थी। जमीन पर बीरबल ने आग जला रखी थी। जब बादशाह ने आग के पास बैठे हुए बीरबल से पूछा कि यह क्या तमाशा कर रहे हो तो बीरबल ने उत्तर दिया हुजूर पेट में जरा गड़बड़ है।

खिचड़ी पका रहा हूँ। सिचडी ऐसे क्या बेवकूफी की बात करते हो हाँडी इतनी दूर बँधी है और आग यहाँ जल रही है। ऐसे भी कहीं खिचड़ी पकती हे हाँडी तक तो धुआँ भी नहीं पहुँचेगा आग की गर्मी तो बहुत दूर की बात है। इसमें चावल दाल केसे गलेंगे जी हाँ गल जाएँगे नहीं गलेंगे कभी नहीं गलेंगे। यह तुम्हारी मूर्खता है। मूर्खता नहीं हे हुजूर खिचड़ी पक रही है। “बीरबल तुम पागल तो नहीं हो गए “नहीं जनाब खिचड़ी पका रहा हूँ।

आप खुद सोचिए जब दो सौ गज दूर खड़ा आदमी महल के चिराग से अपने शरीर को सेंक सकता है तो पाँच गज की दूरी पर टँगी हाँडी में खिचड़ी क्यों नहीं पक सकेगी बादशाह मुस्कराए। उन्होंने कहा हम समझ गए हैं। तब भी हम समझते थे। हमने जान बूझकर इनाम नहीं दिया था। हम देखना चाहते थे कि तुम क्‍या करिश्मा करोगे अब हमने देख लिया कि तुम सचमुच बुद्धिमान हो। उस धोबी को कल मुँहमाँगा इनाम मिल जाएगा।

और अगले ही दिन धोबी दरबार में बुलाया गया। बादशाह ने उसे को इनाम दिया। धोबी खुश हो गया।