अकबर बीरबल कहानी एक बार अकबर बहुत उत्साहित होकर बोले कोई भी उन्हें मूर्ख नहीं बना सकता। बीरबल ने जवाब दिया कि वह एक ऐसे दर्जी को जानता है जो किसी की भी नाक के नीचे से कुछ भी चुरा सकता है। अकबर ने बीरबल को इस बात को पूरा करने की चुनौती दी। दर्जी को महारानी का ब्लाउज सिलने के लिए बुलाया गया।
उसे एक मलमल का कपड़ा दिया गया और कहा गया तुम्हें कोई चालाकी करने की ज़रूरत नहीं क्योंकि यहां से निकलने से पहले तुम्हारी तलाशी ली जाएगी। कमरे के बाहर एक सैनिक को तैनात कर दिया गया ताकि दर्जी अपने साथ कुछ न ले जा सके। कुछ समय बाद दर्जी का पुत्र आया। लेकिन उसे मिलने नहीं दिया गया। बाहर खड़े होकर उसने दर्जी को कहा कि उसकी पत्नी घर पर खाने के लिए बुला रही है।
दर्जी ने कहा “तुम चले जाओ मैंने अभी अपना काम खत्म नहीं किया। लेकिन उसका पुत्र बाहर खड़ा होकर उसे घर आने के लिए कहता रहा। दर्जी परेशान होकर उस पर चिल्लाया और अपना जूता उस पर फेंका। लड़का जूता उठाकर घर की तरफ भागा। जब दर्जी का काम खत्म हो गया तो उसकी तलाशी लेकर उसे जाने दिया।
कुछ दिन बाद रानी की नौकरानी बोली कि उसने दर्जी की पत्नी को उसी मलमल के कपड़े का ब्लाउज पहने देखा है जिसका रानी पहनती है। दर्जी के घर की तलाशी ली गयी तो ब्लाउज मिल गया। अकबर ने बीरबल से पूछा कि दर्जी कपड़े को कैसे बाहर लेकर गया बीरबल मुस्कराकर बोला जहांपनाह उसने कपड़े को उस जूते में छिपा दिया था जो उसने अपने पुत्र पर फेंका था।
शिक्षा जब किसी के पास प्रेरणा हो तो उसकी मानवीय प्रतिभा की कोई कमी नहीं होती। प्रेरणा दो और चांद भी आपके हाथों पर होगा जबकि प्रेरणा का अभाव आपकी कार्यशाला पर ताला भी लगा सकता है।